जालपा माता मंदिर-राजगढ़
जालपा माता मंदिर-राजगढ़
यह सुंदर मंदिर राजगढ़ से सिर्फ 4 किलोमीटर दूर है । यह ऊँची पहाड़ी पर है और ऊपर से शहर का एक सुरम्य दृश्य देख सकते हैं। यह घने जंगल मे पौधों की विभिन्न किस्मे है। भक्त नवरात्रि के मौसम में अलग-अलग हिस्सों से यह आते हैं। राजग़ढ पर करीब 550 साल पहले भील राजाओं का राज हुआ करता था। उनहीं के दौरान पहा़डी पर एक चबूतरे पर मातारानी की स्थापना की गई थी। तब से लेकर वर्ष वर्षांतरों तक पहा़डी पर चबूतरे पर मातारानी विराजमान रही। बाद में यहां पर प्रशासन के सहयोग से मंदिर को ट्रस्ट घोषित किया गया। ट्रस्ट बनने के बाद मंदिर पर पहंचने के लिए स़डक मार्ग, जीने आदि बनाए गए। इतना ही नहीं मंदिर पर निर्माण होने के साथ ही पेयजल व सामुदायकि भवन आदि के इंतजाम किए। वर्तमान में यहां पर नवरात्र के दौरान हजारों की संख्या में यहां दर्शन करने के लिए भक्तगण पहुंचते हैं। नवरात्र के दौरान छोटी-छोटी कन्याओं से लेकर मातृशक्ति व पुरूष भक्तगण पहुंचते हैं। यहां पर जिले ही नहीं बल्कि राजस्थान सहित दूर-दूर से भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। सिद्धपीठ जालपा माता मंदिर की सिद्धी इतनी है कि जब भी किसी के शादी-विवाह के लिए मुहुर्त नहीं निकलते हैं तो मातारानी के दरबार में पांती रखने के साथ विवाह संपन्न किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां की पांती बिना किसी मुहूर्त का शुभ मुहूर्त होता है।
शादी करने के बाद जरूर दोनों पक्षों के लोग दूल्हा-दुल्हन सहित यहां मातारानी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। इनके अलावा भी जिलेभर से शादियों के दौरान यहां दर्शन करने वालों की भी़ड लगी रहती है।
फोटो गैलरी
कैसे पहुंचें:
वायु मार्ग
राज्य मुख्यालय भोपाल से हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ, यह राज्य की राजधानी भोपाल से 145 किमी दूर है
ट्रेन द्वारा
ब्लॉक मुख्यालय ब्यावरा से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है, यह ब्यावरा से 24 किमी दूर है
सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग 52 सड़क से जुड़ा, यह जिला मुख्यालय से 4 कि.मी. है