बंद करे

जिले के बारे में

राजगढ़ मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित है। यह राजस्थान राज्य और शाजापुर , सीहोर, भोपाल के जिलों की सीमाओं से लगा हुआ है । राजगढ़ जिले की अक्षांश 23 27 ‘ 12 ” उत्तरी और 24 17 ‘ 20 ” उत्तर के बीच और देशांतर 76 11 ‘ 15 ‘ और 77 14 ‘ पूरब के बीच फैली है । जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्र 6154 वर्ग कि.मी. है । जनगणना 2011 के अनुसार आबादी 15,45,814 है । यह राज्य की राजधानी भोपाल से 145 किलोमीटर दूर है।

विकासखण्ड सारंगपुर

सारंगपुर विकासखण्ड मालवा के पठार के उत्तरी हिस्से में स्थित है ,सारंगपुर समुद्र तल से 390 मीटर की उॅचाई पर है विकासखण्ड जिला शाजापुर तथा जिले के खिलचीपुर ,नरसिंहगढ़,जीरापुर राजगढ़ तथा ब्यावरा विकासखण्ड से लगा हुआ है । सारंगपुर में दार्शनिक स्थल में उत्तर में मॉ बिजासन मंदिर भैसवामाता स्थित है यहॉ नवरात्रि में में दूर-दूर से दशनार्थी आते है , यहॉ माघ की पूर्णिमा को मेला लगता है । जो कि आसपास के क्षेत्र में प्रसिद्ध है । यहॉ से कई लोग विवाह हेतु मुहर्त ले जाते है । सारंगपुर ऐतिहासिक दृष्ठि से भी महत्वपूर्ण है यहॉ प्रेम का प्रतीक रानी रूपमति तथा बाज बहादुर का मकबरा अकोदिया रोड़ पर पर स्थित है । यहॉ कई प्राचीन खंडहर ,महल व बावड़िया है जिसमें इतिहास की यादे समाहित है । सारंगपुर विकासखण्ड में उत्तर में कालीसिंध नदी के किनारे मध्य में भगवान कपिलेश्वर का मंदिर है जो अति रमणीय तथा दर्शनीय स्थल है । स्नान हेतु प्रति अमावस्या व पूर्णिमा को लोगो का हुजुम उमडता है । साथ ही कार्तिक पुर्णिमा को प्रतिवर्ष मेंला लगता है जिसमें आसपास के कई लोग शामिल होकर मेंले में चार चांद लगाते है ।

विकासखण्ड नरसिंहगढ़

मालवा के कश्मीर नाम से विख्यात नरसिंहगढ़ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से उत्तर पश्चिम में 85 कि.मी.दूर राष्ट्रीय राजमार्ग क्र.-52 (जयपुर-जबलपुर मार्ग) पर 23’’ उत्तरी अक्षांस और 77’’ देशान्तर पर समुद्र तल से 1870 फीट की ऊॅचाई पर बसा है। विकासखण्ड से जिला शाजापुर, सीहोर, भोपाल एवं ब्यावरा, सारंगपुर तहसील की सीमाए लगी हुई है। नरसिहगढ मे दर्शनीय स्थल में किला , जलमंदिर , छोटे महादेव का झरना , श्याम जी मंदिर, चिडिखों है। यहा शिवरात्री एवं जेष्ठ पूर्णिमा पर मेला का आयोजन किया जाता है , नरसिंहगढ नगर मे छोटा महादेव एवं बडा महादेव का मंदिर स्थित है, यहा सावन के महिने मे दर्शनार्थियो की भारी भीड हुजूम उमडता है। नरसिहगढ तहसील के पूर्व सीमा मे पार्वती बहती है। यहा पर नरसिहगढ के राजा चेनसिंह की छत्री का निर्माण छत्री चौराहे पर किया गया है। जो बहादुरी के लिये प्रसिद्ध है।

विकासखंड जीरापुर

जीरापुर विकासखंड राजगढ़ जिले की तहसील हे जो जिला मुख्यालय से 40 कि.मी. दूर 24.09N / 76.38 E अक्षांश देशांतर पर स्थित हे। जीरापुर तहसील का एक हिस्सा राजस्थान के बकानी जिला झालावाड़ से , तथा विकासखंड खिलचीपुर , सारंगपुर , सुसनेर जिला आगर से सीमाए जुड़ती हे जीरापुर क्षेत्र मे कुंडालिया बांध बहुत बड़ी देन हे, कुंडालिया बांध से आगामी समय मे समस्त जीरापुर सिंचाई युक्त होगा । मुख्य नदी कालीसिंध है । जीरापुर मे कई दार्शनिक स्थल हे
श्री बिल्लेश्वर महादेव मंदिर भानपुरा प्राचीन शिवालय है। यह मंदिर लगभग 200 वर्षो से अधिक पुराना है। यहा पर बहुत सी मान्यताए प्रचलित है। यहा पर 250 से 300 के लगभग बिल्व के पेड है। प्राचीन मान्यता है कि भगवान महाकाल का यह शिवालय अद्वितिय है। इस स्थल पर सभी कार्य सिद्ध होते है। यहा प्रारंभ में एक चबूतरा था, जिस पर आज यहा भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है आस-पास का पूरा क्षै़त्र तथा दूर-दूर से कई लोग यहा आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। तथा अद्भूत शांति का अनुभव होता है।

सात फेरे शिव पार्वती विवाह स्थल माचलपुर – जिला मुख्यालय से 45 कि.मी. दूर जीरापुर की नगर पंचायत माचलपुर मे यह प्रसिद्ध स्थल स्थित है। जो माचलपुर से 1 कि.मी. दूर कचनारिया रोड पर बाधा बल्डी पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थल पर भगवान शिव ने माता पार्वती का मायका होने के कारण पूर्व में इसे हिमाचल नगरी भी कहा जाता था।यह सात फेरे पत्थरो के बने हुए है। जिनके मध्य शिव पार्वती की प्रतिमा है। ऐसी मान्यता है कि विवाहित जोडे यहां आकर अखण्ड सौभाग्य की कामना करते हे। इसी के निकट एक तालाब स्थित है। जिसका पानी आज भी चावल के माण्ड जैसा दिखाई देता है। जो शिव पार्वती के विवाह के समय बनाये गये चावल के कारण ऐसा दिखाई देता है। आस-पास के स्थलों के कुछ नाम भी प्रमाणित करते है। कि यहा पर शिव व पार्वती का विवाह हुआ था जिस स्थान पर भगवान रूके उसे देवरा बल्डी व जिस स्थान पर भूत रूके थे उसे भूटियाबे कहा जाता है।

चोर बावडी माचलपुर – चोर बावडी विकासखण्ड जीरापुर की नगर पंचायत माचलपुर में स्थित है। यह जिला मुख्यालय से 45 कि.मी. दूर पर स्थित है। इस ऐतिहासिक स्थल के बारें में यह मान्यता है कि यह बावडी महारानी अहिल्या होल्कर स्टेट के समय काल में चोरो द्वारा एक ही रात में बनाई गई है। इस बावडी में चार कमरे है। यह महल के समान दिखाई देती है। जिसमें दोनो तरफ सीढी है एवं बावडी के उपर से पूरब व पश्चिम दिशा में दो गुप्त सीढी है। जिनसे सीधे कमरो में जाया जा सकता है। बावडी में दो बडे महलनुमा दरवाजे है। व छतो व दीवारों पर नक्काशी दिखाई देती है। जो आकर्षक लगती है। बावडी दो मंजिला हे। एक मंजिल पुरी तरह पानी में डुबी हुई है।

विकासखंड खिलचीपुर

राजगढ जिले के अन्तर्गत आने वाले नगर खिलचीपुर का इतिहास बहुत पुराना है खीची राजवंश की रियासत रही है जो ग्वालियर की सिधिंया स्टेट के अन्तर्गत आती थी यह तहसील मालवाचंल के अंतिम छोर पर राजस्थान की सीमा से लगी हुई है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रंमाक 52 पर स्थित है यही से राजस्थान की सीमा लगी हुई है यही से राजस्थान में प्रवेश किया जाता है। खिलचीपुर की मुख्य नदी में पुण्य गाडगंगा नदी है । जो यहॉं का प्रमुख जल स्त्रोत है। यह एक धार्मिक नगरी है यहा पर बहुत सारे मन्दिर एवं मस्जिद है । यहा एक उपनगर सोमवारिया है जो नदी एक दुसरे तट पर स्थित है। खिलचीपुर में प्रसिद्ध प्राचीन मन्दिर – नाहरदा मन्दिर, रियासत समय का प्राचीन शनि मन्दिर है। खिलचीपुर का रियासत कालीन का एक प्राचीन राजमहल है जो दर्शनीय स्थल है।

विकासखंड राजगढ़

राजगढ़ विकासखंड मालवा के पठार के उत्तरी हिस्से मे 23.42, 76.32 अक्षांश देशान्तर पर स्थित है । राजगढ समुद्री तल से 390 मीटर की उचाई पर स्थित है ।  राजगढ विकासखंड से राजस्थान का हिस्सा , विकासखंड ब्यावरा, खिलचीपुर ,सारंगपुर की सीमाऐं जुडती है। राजगढ क्षैत्र मे मोहनपुरा बॉध क्षैत्र के लिये बहुत बडी देन है मोहनुपरा बॉध से आगामी वर्षो में समस्त पठारी हिस्सा सिचाई युक्त होगा ।  राजगढ में दार्शनिक स्थलो में पश्चिम में पठार पर प्राचीन मॉ जालपा देवी मंदिर स्थित है वर्ष में दो बार नवरात्री में यहा दूर-दूर से दार्शनिक आते है एवं विवाह हेतु पाती भी यहा से लेकर विवाह कार्यक्रम करते है राजगढ से उत्तर की ओर मॉ बटेरी माता पहाडी पर स्थित है । ग्रामीण जन यहॉ वर्षभर दर्शन करने हेतु आते है । राजगढ शहर के पूर्व में महादेव मंदिर खोयरी घने जंगल ओर ताल के बीच स्थित है । शिवरात्री पर शहर से भोले बाबा की बारात महादेव मंदिर तक जाती है एवं शिव पार्वती विवाह की रस्म का आयोजन किया जाता है ।  शहर के पूर्वी दक्षिण में बाबा बदखशाहनी की मजार स्थित है जिसमें वर्ष में एक बार मार्च माह में मेला लगता है । राजगढ की मुख्य नदी नेवज है साथ ही इस क्षैत्र से अजनार नदी भी गुजरती है । राजगढ शहर से दक्षिण में वृहद् हिस्से में सोलर प्लांट स्थापित है । जिससे सौर उर्जा से 25 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है । राजगढ क्षैत्र की मुख्य बोली मालवी है

विकासखंड ब्यावरा

ब्यावरा विकासखंड जिला मुख्यालय सें 26 किमी भोपाल रोड पर स्थित है ,ब्यावरा शहर जिलें का मुख्य व्यावसायिक नगर एवं जिलें का सबसें बडा नगर भी है जों लगभग 30 किमी कें विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है यह जिलें का एक मात्र रेल्वें स्टेशन है जों मुख्य रूप सें इन्दौर,अहमदाबाद,मथुरा,देहरादुन,नई दिल्ली,रतलाम ,अमृतसर आदि रेल्वें लाईन सें जुडा हुआ है। ब्यावरा क्षैत्र से नेशनल हाईवे – 03 गुजरता है , तहसील की स्थापना मई 1948 में हुई है। पर्यटन विभाग द्वारा संचालित होटल हाइवें ट्रीट भोपाल बायपास पर उपलब्ध है।ब्यावरा शहर की प्रमुख नदी अजनार नदी है। जो शहर कें मध्य सें होकर गुजरती है। ब्यावरा क्षेत्र की प्रमुख नदिया पार्वती,नेवज,दूधी है। दूधीनदी पर कुशलपुरा डेम है।जों ब्यावरा शहर कों पेयजल उपलब्ध करता है। ब्यावरा के प्रमुख धार्मिक स्थल श्री अंजलीलाल मंदिर,मॉ वैष्णव देवी मंदिर ,श्री गणेश मंदिर है। ब्यावरा क्षैत्र में पर्यटन एवं धार्मिक स्थल बेजनाथ मंदिर जों की घुरेंल की पहाडी पर स्थित है। जहॉ पर प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर मेला लगता है। ब्यावरा शहर में 2 पशु मेला लगतें है। मुख्य रूप सें बोली जाने वाली भाषा हिन्दी तथा बोली मालवी है।